Yatra

यात्रा का उद्देश्य:

कृष्ण भक्ति का प्रोत्साहन: साथ ही भगवत गीता मे भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संबोधित करते हुए जिस तरह की भक्ति का उल्लेख किया गया है उसे भी आत्मसात कराने का उद्देश्य है। कृष्ण जीवन के आदर्शो का परिचय: ईश्वर जब धरा पर आते है तो उससे पहले ही अपने किस पात्र से क्या कराना है वो जानते है इसलिए भगवान श्रीकृष्ण जी बाल्यकाल मे अनेको कार्य धर्म की स्थापना के लिए किए व पांडव को चुना धर्म के युद्ध को लङने के लिए सहस्र नही अपितु मुठी भर ही धर्म का पर्चम को लहराने के लिए काफी है। *कृष्ण साधना मे जागरूकता बढावा: भगवान श्रीकृष्ण को किस प्रकार की भक्ति से प्रसन्न किया जा सकता है उसका कौन से मार्ग का अनुसरण करने पर प्राप्त होंगे उसकी भी जागृति करवायी जाएगी। *आत्मिक विकास: भगवान श्रीकृष्ण के बताए गए ईश्वरीय मार्ग को ज्योति स्वरूप उस प्रकाश का दर्शन कर अनवरत उसमे लिन होना, ध्यानस्थ होना, उनके विराट स्वरूप का दर्शन करने से मनुष्य अपने आप को मोक्ष के द्वार पर पहुंच जाता है फिर उसके लिए आत्मिक सुद्दीकरण से ही अस्ल मे आत्मिक विकास हो पायेंगा। *सांस्कृतिक जागरूकता : यह तभी सफल हो सकता है जब हम आध्यात्मिक मार्ग पर चले उसके लिए हमे ब्रह्म ज्ञान का होना जरूरी है। जिस ज्ञान को भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था जिसके पाते ही ईश्वर दर्शन हुए। उस ज्ञान को प्राप्त करने की विषय मे भी बताई जायेगी। *सांस्कृतिक समृद्धि मे सकरात्मक योगदान : यात्रा से प्रत्येक आगन्तुको को ब्रह्म ज्ञान के द्वारा उनके आत्मिक आध्यात्मिक ऊर्जावान श्रोत से किस तरह से सांस्कृतिक समृद्धि मे सकरात्मक योगदान दे सकते है इसके विषय मे भी बताई जायेगी। *समाज में सजीव सेवा का अवसर : समाज को स्वच्छ, स्वस्थ एवं विकास करने मे किस प्रकार से ब्रह्म ज्ञान प्राप्त मनुष्य सहयोग कर सकता है उसकी भी आत्मसात करवायी जायेगी। *सांस्कृतिक साक्षरता का प्रचार प्रसार: भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा बताए गए मार्ग ही श्रेष्ठ मार्ग है ईश्वर के मार्ग को किस तरह से पाए और उसका अनुसरण करे उसके लिए आत्मिक ज्ञान का प्रचार प्रसार करना होगा। *युवा सकरात्मकता को बढ़ावा: युवाओ को ब्रह्म ज्ञान के द्वारा ही सकरात्मक सोच को जन्म दिया जा सकता है। आज हम अपने युवको को दिशाहीन मार्गो पर भटकते हुए देखकर बहुत आफसोस होता है। इसलिए हम चाहेंगे कि युवाओ को भगवान श्रीकृष्ण के ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त करना उनके भटके हुए मार्ग से वापस लाना ही हमारा परम उद्देश्य है। कृष्ण भक्ति को बढ़ावा देना: यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम को बढ़ावा देना है ताकि प्रत्येक यात्री कृष्ण भक्ति में रुचि रखता रहे। रेखांकित करें कि सच्ची कृष्णभक्ति क्या है। लाभ और समावेशिता और एकता और हम इसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं। कृष्ण के जीवन आदर्शों से परिचय: यात्रा के माध्यम से हम यात्रियों को भगवान कृष्ण के जीवन और उनके आदर्शों से संवेदनशील तरीके से परिचित कराएंगे। कृष्ण के सच्चे आदर्शों को सामने रखें, उन्हें व्यावहारिक कार्यशाला के माध्यम से लागू करने में मदद करें। दुनिया को दिखाया कि महिलाओं का सम्मान कैसे किया जाता है, 16108 रानियों को अपना संरक्षण और आश्रय दिया। श्री कृष्ण से हम जीना सीखते हैं। समाज के लिए लाइव सेवा का अवसर: यात्रा के दौरान समाज के लिए लाइव सेवा के अवसर प्रदान करना और सांस्कृतिक स्थलों की सफाई और रखरखाव में सक्रिय होना व्यवहारिक प्रयोग द्वारा सेवा का महत्त्व बताइये। सेवा हमारे जीवन में कैसे सकारात्मक योगदान देती है